नई दिल्ली, 13 जून
कोविड-19 के कारण अस्पताल में भर्ती जिन मरीजों को तीव्र किडनी की चोट लगी थी, उनमें टीकाकरण न करवाने वाले मरीजों की तुलना में बेहतर नतीजे मिले, शुक्रवार को हुए नए शोध के अनुसार।
कैलिफोर्निया-लॉस एंजिल्स विश्वविद्यालय (यूसीएलए) के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए अध्ययन से पता चला है कि पहले से टीकाकरण करवा चुके मरीजों के डिस्चार्ज होने के बाद डायलिसिस पर बने रहने की संभावना कम थी और टीकाकरण न करवाने वाले मरीजों की तुलना में उनके बचने की संभावना अधिक थी।
तीव्र किडनी की चोट या AKI, कोविड से संक्रमित लोगों में आम है, जिसकी दर 46 प्रतिशत तक है। इससे किडनी के कार्य में हल्की कमी आ सकती है या गंभीर होने पर डायलिसिस की आवश्यकता पड़ सकती है। हालांकि, इन मरीजों के दीर्घकालिक गुर्दे और जीवित रहने के परिणामों को अच्छी तरह से समझा नहीं गया है।
पीयर-रिव्यूड जर्नल किडनी मेडिसिन में प्रकाशित निष्कर्षों से पता चलता है कि कोविड टीकाकरण दीर्घकालिक किडनी के कार्य में गिरावट और मृत्यु दर के जोखिम को कम कर सकता है।
यूसीएलए के डेविड गेफेन स्कूल ऑफ मेडिसिन में मेडिसिन की एसोसिएट प्रोफेसर और प्रमुख लेखक डॉ. निलोफर नोबख्त ने कहा, "कोविड वैक्सीन एक महत्वपूर्ण हस्तक्षेप है जो तीव्र किडनी की चोटों के साथ अस्पताल में भर्ती मरीजों में कोविड-19 संक्रमण से जटिलताओं के विकास की संभावना को कम कर सकता है।"