बेंगलुरु, 10 जुलाई
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी), बेंगलुरु क्षेत्रीय कार्यालय ने गुरुवार को जारी आधिकारिक बयान में कहा कि कर्नाटक औद्योगिक क्षेत्र विकास बोर्ड (केआईएडीबी), धारवाड़ में हुए दोहरे मुआवज़े घोटाले के सिलसिले में मुख्य आरोपी रवि यल्लप्पा कुर्बेट को वी.डी. सज्जन और अन्य के मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए), 2002 के प्रावधानों के तहत गिरफ्तार किया है।
गिरफ्तारी 8 जुलाई को हुई थी।
ईडी ने कहा, "यह घोटाला धारवाड़ के सेवानिवृत्त विशेष भूमि अधिग्रहण अधिकारी वी.डी. सज्जन ने अन्य आरोपियों के साथ मिलीभगत करके किया था। गिरफ्तार व्यक्ति, रवि यल्लप्पा कुर्बेट को 9 अगस्त को मंगलुरु स्थित तृतीय अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश (पीएमएलए) की अदालत में पेश किया गया। अदालत ने ईडी को 7 दिनों की रिमांड पर भेज दिया है।"
ईडी ने कहा कि इस मामले की जाँच के दौरान एकत्र किए गए साक्ष्य और दस्तावेज़ों से केआईएडीबी धारवाड़ में व्यापक धन शोधन योजना में रवि यल्लप्पा कुर्बेट की सक्रिय संलिप्तता का संकेत मिला है।
रवि यल्लप्पा कुर्बेट इस घोटाले से अर्जित अपराध की आय (पीओसी) का एक प्रमुख लाभार्थी रहा है। ईडी ने कहा कि उसने पीओसी का उपयोग अपने और अपने रिश्तेदारों के नाम पर अचल संपत्तियाँ खरीदने और निजी उपभोग के लिए किया है।
ईडी ने कहा कि यह बताना उचित होगा कि ईडी पहले ही इस मामले में लगभग 13 करोड़ रुपये की संपत्ति ज़ब्त कर चुका है।
ईडी ने कहा कि पीएमएलए, 2002 के तहत ईडी की जाँच से पता चला है कि आरोपी व्यक्तियों ने केआईएडीबी से उन लोगों के नाम पर धोखाधड़ी से दोगुना मुआवज़ा लेने और निकालने के लिए अपनाई गई कार्यप्रणाली का खुलासा किया है जिन्हें पहले ही मुआवज़ा मिल चुका था या जिनकी पहले ही मृत्यु हो चुकी थी।
फर्जी पैन कार्ड का इस्तेमाल करके खोले गए बैंक खातों से लगभग 46 करोड़ रुपये नकद निकाले गए। आयकर अधिनियम की धारा 194-एन के तहत नकद निकासी के समय काटा गया कर इन पैन कार्ड में जमा कर दिया गया है। इस तरह का टीडीएस, जो अपराध की आय है, अब अस्थायी रूप से कुर्क कर दिया गया है।
फर्जी पहचान पत्रों का इस्तेमाल करके दूसरी बार मुआवज़ा पाने के लिए केआईएडीबी के समक्ष फिर से आवेदन प्रस्तुत किए गए। केआईएडीबी के अधिकारियों ने आरोपियों की मिलीभगत से ये अवैध दूसरी बार मुआवज़ा स्वीकृत किया। ईडी ने कहा कि ये मुआवज़ा फर्जी पैन कार्ड से खोले गए बैंक खातों में जमा किया गया, जिन्हें बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से तुरंत नकद निकाल लिया गया।
इस तरीके से प्राप्त अवैध मुआवज़े को आरोपियों में बाँट दिया गया। ईडी ने कहा कि कुछ मामलों में, यह पूरी प्रक्रिया मृतक भूस्वामियों के नाम पर की गई, जिन्हें पहले ही पूरा मुआवज़ा मिल चुका था।