नई दिल्ली, 20 अगस्त
हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बुधवार को कहा कि यमुना नदी को गंगा की तरह स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए केंद्रीय जल आयोग (सीडब्ल्यूसी), हरियाणा और दिल्ली सरकारों के वरिष्ठ अधिकारियों की एक संयुक्त समिति गठित की जाएगी।
यह समिति न केवल यमुना की सफाई पर ध्यान केंद्रित करेगी, बल्कि अन्य संबंधित मुद्दों के समाधान की दिशा में भी काम करेगी। मुख्यमंत्री यहाँ केंद्रीय जल शक्ति मंत्री सी.आर. पाटिल की अध्यक्षता में "यमुना जल पुनरुद्धार से संबंधित अंतर-राज्यीय समन्वय" पर आयोजित बैठक में भाग लेने के बाद मीडिया से बातचीत कर रहे थे।
मुख्यमंत्री सैनी ने कहा कि रेखा गुप्ता के नेतृत्व में दिल्ली सरकार के गठन के बाद से, विकास योजनाएँ तेज़ी से तैयार की जा रही हैं और उनका क्रियान्वयन निरंतर प्रगति पर है।
उन्होंने बताया कि यमुना की सफाई का काम युद्ध स्तर पर चल रहा है। नालों के सीवेज जल को सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट (एसटीपी) के माध्यम से नदी में छोड़ने से पहले उपचारित करने की प्रक्रिया में काफी तेजी लाई गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि चल रहे अभियान के तहत यमुना से 16,000 मीट्रिक टन कचरा पहले ही हटाया जा चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजन के अनुरूप निर्धारित लक्ष्य के अनुसार नदी को स्वच्छ और निर्मल बनाया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यमुना का पुनरुद्धार दोनों सरकारों की सर्वोच्च प्राथमिकता है और आश्वासन दिया कि जनता जल्द ही स्वच्छ और पुनर्जीवित यमुना देखेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि करनाल जिले के पल्ला गाँव से यमुना में गिरने वाले नाले का बायोलॉजिकल ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) स्तर 80 है और इस पानी को और शुद्ध करने के लिए आवश्यक कदम उठाए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि फरीदाबाद के ओखला में यमुना के पानी के बीओडी स्तर में उल्लेखनीय सुधार हुआ है।
पानी की गुणवत्ता को और बेहतर बनाने के लिए 44 एसटीपी पहले ही स्थापित किए जा चुके हैं, जिनके माध्यम से प्रतिदिन लगभग 620 एमएलडी पानी का उपचार किया जा रहा है।
इसके अलावा, 510 एमएलडी पानी को शुद्ध करने के लिए नौ और एसटीपी स्थापित किए जा रहे हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि पर्यावरण और जल से जुड़े मुद्दों की कोई सीमा नहीं होती, इसलिए यमुना को पूरी तरह से स्वच्छ और निर्मल बनाने के लिए दोनों राज्यों को मिलकर काम करना होगा।
उन्होंने कहा कि प्रदूषित पानी सीधे नदी में न छोड़ा जाए, इसके लिए सख्त कदम उठाए जा रहे हैं और इस संबंध में अधिकारियों को आवश्यक निर्देश पहले ही जारी कर दिए गए हैं।
उन्होंने कहा कि नजफगढ़ झील और नाले की निगरानी के लिए दिल्ली और हरियाणा दोनों के प्रतिनिधियों और विशेषज्ञों की सेवाएँ ली जाएँगी।
इसके अलावा, हरियाणा में उद्योगों से निकलने वाले प्रदूषित पानी के बीओडी स्तर की भी नियमित जाँच की जाएगी।