नई दिल्ली, 4 सितंबर
वैश्विक ब्रोकरेज फर्म बर्नस्टीन की गुरुवार को आई एक रिपोर्ट के अनुसार, सरकार द्वारा घोषित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) दरों में व्यापक बदलावों का सार्वजनिक वित्त पर मामूली प्रभाव पड़ सकता है, जिससे केंद्र पर केवल 18,000 करोड़ रुपये का राजकोषीय बोझ पड़ने का अनुमान है।
दैनिक उपयोग की एफएमसीजी वस्तुओं से लेकर कार, घरेलू सामान और बीमा तक, अधिकांश उत्पाद 22 सितंबर से सस्ते हो जाएँगे।
क्षतिपूर्ति उपकर से नए 40 प्रतिशत जीएसटी स्लैब में पुनर्निर्देशित राजस्व इस नुकसान की लगभग 4.5 लाख करोड़ रुपये (5.2 अरब डॉलर) की भरपाई कर सकता है, जिससे लगभग 4.8 लाख करोड़ रुपये (5.6 अरब डॉलर) या जीडीपी का 0.16 प्रतिशत की शुद्ध कमी रह जाएगी।
दोनों रिपोर्टों से पता चलता है कि जीएसटी सुधारों से सरकार को कुछ राजस्व हानि होगी, लेकिन उच्च उपभोग और मजबूत अनुपालन के दीर्घकालिक लाभ अल्पकालिक राजकोषीय नुकसान से कहीं अधिक होंगे।