पटना, 11 जुलाई
बिहार में साइबर धोखाधड़ी की घटनाएं लगातार बढ़ रही हैं, जो पुलिस के लिए एक बड़ी चुनौती बन गई हैं। पटना साइबर पुलिस स्टेशन ने एक बड़ी सफलता हासिल करते हुए एक ऐसे गिरोह का भंडाफोड़ किया है जो पर्सनल लोन दिलाने के नाम पर लोगों से करोड़ों रुपये की ठगी करता था।
सिटी एसपी (पश्चिम) भानु प्रताप सिंह के अनुसार, जालसाजों ने पर्चे और ऑनलाइन विज्ञापनों के ज़रिए लोगों को एसबीआई के योनो ऐप और अन्य बैंक योजनाओं के नाम पर पर्सनल लोन देने का लालच दिया।
पर्चों में टोल-फ्री नंबर होते थे, और जब पीड़ित कॉल करते थे, तो जालसाज विश्वास जीतने के लिए खुद को बैंक मैनेजर बताते थे। वे कम ब्याज दर पर विभिन्न बैंकों से लोन दिलाने का वादा करते थे।
इसके बाद पीड़ितों को व्हाट्सएप लिंक भेजे जाते थे, जहाँ उनसे लोन प्रोसेस करने के बहाने बैंक की जानकारी सहित व्यक्तिगत जानकारी मांगी जाती थी।
इस जानकारी का इस्तेमाल करके, साइबर अपराधियों ने पीड़ितों के खातों से पैसे निकाल लिए।
एसपी भानु प्रताप सिंह ने बताया, "पटना साइबर पुलिस स्टेशन ने इस मामले में दो आरोपियों को गिरफ्तार किया है।"
आरोपियों की पहचान बिहार के नवादा निवासी अमित कुमार और शेखपुरा जिले के राहुल कुमार के रूप में हुई है।
छापेमारी के दौरान पुलिस ने उनके पास से 19 मोबाइल फोन, एक लैपटॉप, 15 एटीएम कार्ड और 4,500 रुपये नकद बरामद किए।
पुलिस का अनुमान है कि इस तरीके से करोड़ों रुपये की ठगी की गई है।
पुलिस ने जनता से सतर्क रहने और व्यक्तिगत जानकारी साझा करने या संदिग्ध कॉल या संदेशों के माध्यम से प्राप्त लिंक पर क्लिक करने से बचने की अपील की है।
लोगों को सलाह दी गई है कि वे ऋण प्रस्तावों की प्रामाणिकता की पुष्टि करें और कॉल पर ओटीपी, बैंक विवरण या आधार नंबर साझा करने से बचें।
सिंह ने कहा, "आपकी थोड़ी सी भी लापरवाही आर्थिक बर्बादी का कारण बन सकती है। साइबर धोखाधड़ी से सतर्क रहें।"
यह घटना याद दिलाती है कि साइबर अपराधी आकर्षक ऑफ़र की आड़ में लोगों को निशाना बनाने के लिए नए-नए हथकंडे अपना रहे हैं और ऐसे अपराधों को रोकने के लिए कड़ी निगरानी ज़रूरी है।