नई दिल्ली, 15 जुलाई
पिछले 11 वर्षों में भारत की खुदरा मुद्रास्फीति औसतन लगभग 5 प्रतिशत रही है - हाल के महीनों में इसमें लगातार गिरावट आई है और यह इस वर्ष जून में 6 वर्षों के निचले स्तर 2.1 प्रतिशत पर पहुँच गई है।
वित्त मंत्रालय के आँकड़े बताते हैं कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कार्यकाल में औसत मुद्रास्फीति 5.1 प्रतिशत रही है, जबकि यूपीए शासन में यह 8.1 प्रतिशत थी।
आधिकारिक आँकड़ों के अनुसार, यूपीए काल में, जनवरी 2012 से अप्रैल 2014 के बीच, खुदरा मुद्रास्फीति 28 महीनों में से 22 महीनों में 9 प्रतिशत से अधिक रही।
अधिकारी ने बताया कि यूपीए के अंतिम तीन वर्षों (2011-2014) के दौरान, भारत 9.8 प्रतिशत की औसत खुदरा मुद्रास्फीति से जूझ रहा था, जबकि वैश्विक मुद्रास्फीति अपेक्षाकृत स्थिर थी, जो 4-5 प्रतिशत के बीच मँडरा रही थी।
इसके विपरीत, प्रधानमंत्री मोदी सरकार ने खुदरा मुद्रास्फीति को लगभग 5 प्रतिशत से नीचे ही रखा है, इसे कभी भी 8 प्रतिशत से ऊपर नहीं जाने दिया।
मुद्रास्फीति में कमी से लोगों के जीवन-यापन का खर्च कम होता है, जिससे उनके पास अन्य वस्तुओं पर खर्च करने के लिए अधिक पैसा बचता है। जीवन स्तर में सुधार के अलावा, औद्योगिक वस्तुओं की बढ़ती माँग आर्थिक विकास में तेज़ी लाती है और अधिक रोज़गार सृजन करती है।