जोधपुर, 15 जुलाई
जोधपुर की एक विशेष सीबीआई अदालत ने भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचएआई) के एक प्रबंधक को अवैध संपत्ति रखने के आरोप में चार साल की कैद और 41.65 लाख रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई है। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
राजस्थान के चित्तौड़गढ़ स्थित एनएचएआई के तत्कालीन प्रबंधक (तकनीकी) सुरेंद्र कुमार सोनी को अपने कार्यकाल के दौरान आय के ज्ञात स्रोतों से अधिक संपत्ति (आय से अधिक) रखने का दोषी ठहराया गया था।
अदालत ने 14 जुलाई को अपने फैसले में पाया कि आरोपी के पास उसकी ज्ञात आय से 116 प्रतिशत अधिक संपत्ति थी।
सीबीआई ने सोनी के खिलाफ 30 जुलाई, 2013 को मामला दर्ज किया था।
जांच पूरी होने के बाद, सीबीआई ने 18 दिसंबर, 2014 को विशेष सीबीआई न्यायाधीश के समक्ष आरोपी के खिलाफ आरोप पत्र दायर किया।
एक अलग मामले में, सीबीआई ने झारखंड में एक सड़क परियोजना की गुणवत्ता ऑडिट रिपोर्ट में हेरफेर से जुड़े 10 लाख रुपये से अधिक की रिश्वत लेने के आरोप में एनएचएआई के दो इंजीनियरों, प्राधिकरण के एक समाधान बोर्ड के सदस्य और बिल्डरों व एक बिचौलिए सहित पाँच अन्य लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
सीबीआई ने झारखंड में राष्ट्रीय राजमार्ग-75 के चौड़ीकरण की 818 करोड़ रुपये की परियोजना पर काम कर रहे ठेकेदारों के एक समूह को अनुकूल गुणवत्ता ऑडिट रिपोर्ट (क्यूएआर) प्रदान करने के बदले रिश्वत लेने के आरोप में एनएचएआई के दो उप-प्रबंधकों और प्राधिकरण द्वारा विवाद समाधान बोर्ड (डीआरबी) के सदस्य के रूप में सूचीबद्ध एक सेवानिवृत्त इंजीनियर के खिलाफ मामला दर्ज किया है।
एफआईआर में कहा गया है कि एक गुणवत्ता ऑडिट टीम ने 26 जून से 30 जून के बीच कई ठेकेदारों और उप-ठेकेदारों द्वारा निष्पादित परियोजना का मूल्यांकन किया, जिसमें दिनेशचंद्र आर. अग्रवाल इंफ्राकॉन प्रमुख भूमिका में था।
एफआईआर में एनएचएआई के प्रतिनिधियों पर मेसर्स भारत वाणिज्य ईस्टर्न प्राइवेट लिमिटेड (बीवीईपीएल) के मुख्य परिचालन अधिकारी मनीष मिश्रा से रांची, झारखंड में पैकेज-III परियोजना के निरीक्षण के लिए अनुकूल क्यूएआर प्रदान करने के बदले में अवैध रिश्वत लेने और/या लेने की साजिश रचने के भ्रष्ट आचरण में लिप्त होने का आरोप लगाया गया है।
संघीय एजेंसी को प्राप्त सूत्रों के अनुसार, एनएचएआई के विवाद समाधान बोर्ड (डीआरबी) के सदस्य और सैन्य इंजीनियरिंग सेवा के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता राकेश भसीन को जयपुर स्थित उनके आवास पर 4 लाख रुपये की रिश्वत दी जानी थी, जबकि एनएचएआई के उप प्रबंधक स्वतंत्र गौरव के गुरुग्राम स्थित मित्र धीरज ने उनकी ओर से 5 लाख रुपये लिए थे।
एफआईआर में कहा गया है कि मनीष मिश्रा के निर्देश पर 1 लाख रुपये की रिश्वत एनएचएआई के एक अन्य उप प्रबंधक विश्वजीत सिंह को दी जानी थी।
12 जुलाई को दर्ज सीबीआई की एफआईआर में कहा गया है, "उक्त लोक सेवकों, निजी व्यक्तियों और एनएचएआई के अज्ञात अधिकारियों द्वारा अनुचित लाभ प्राप्त करने और स्वीकार करने के उपरोक्त कृत्य भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 (2018 में संशोधित) की धारा 7, 7ए, 8, 9, 10 और 12 और भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस), 2023 की धारा 61(2) के तहत दंडनीय अपराधों का खुलासा कर रहे हैं। इसलिए, एक नियमित मामला दर्ज किया जाता है..."