नई दिल्ली, 21 जुलाई
एकजुटता का एक दुर्लभ प्रदर्शन करते हुए, सत्तारूढ़ और विपक्षी दलों के 145 सांसदों ने सोमवार को संयुक्त रूप से न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के खिलाफ महाभियोग नोटिस पर हस्ताक्षर किए, जिसे लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला को सौंपा गया।
मार्च में अपने दिल्ली स्थित आवास से कथित तौर पर नकदी बरामद होने के कारण आलोचनाओं का सामना कर रहे न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग करने वालों में राहुल गांधी, अनुराग ठाकुर, रविशंकर प्रसाद, राजीव प्रताप रूडी, पी.पी. चौधरी, सुप्रिया सुले और के.सी. वेणुगोपाल जैसे हस्ताक्षरकर्ता शामिल थे।
संविधान के अनुच्छेद 217 और 218 के तहत दिए गए इस नोटिस का भाजपा, कांग्रेस, तेलुगु देशम पार्टी (तेदेपा), जनता दल (यूनाइटेड), जनता दल (सेक्युलर), जनसेना पार्टी, असम गण परिषद (अगप), शिवसेना (शिंदे), राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी और माकपा सहित अन्य दलों ने समर्थन किया।
इस नोटिस को मिले भारी समर्थन के साथ, स्वतंत्र भारत में पहली बार किसी कार्यरत उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के महाभियोग की अब संसद द्वारा संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 218 के तहत जाँच किए जाने की संभावना है।
अनुच्छेद 217, उच्च न्यायालय के न्यायाधीश को केवल "कारण" (सिद्ध कदाचार या अक्षमता) के आधार पर हटाने का प्रावधान करके न्यायपालिका की स्वतंत्रता की रक्षा करता है, जिसके लिए संसद के दोनों सदनों में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होती है।