सुकमा, 12 जून
छत्तीसगढ़ में चल रहे माओवादी विरोधी अभियान में एक बड़ी सफलता तब मिली जब सुरक्षा बलों ने सुकमा जिले के कुकनार पुलिस थाने के अंतर्गत दुनमपारा पुसगुन्ना के जंगली इलाके में भीषण मुठभेड़ के बाद दो वरिष्ठ माओवादियों के शव बरामद किए।
मृतकों की पहचान कटेकल्याण एरिया कमेटी के कमांडर मुचाकी बामन और वरिष्ठ माओवादी कैडर अनीता अवलम के रूप में हुई है। दोनों को प्रतिबंधित भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी-माओवादी संगठन में प्रमुख कार्यकर्ता माना जाता था।
अधिकारियों ने बताया कि बामन दंतेवाड़ा जिले के कटेकल्याण पुलिस सीमा के अंतर्गत चिकपाल का निवासी था, जबकि अवलम बीजापुर क्षेत्र का रहने वाला था।
जिला रिजर्व गार्ड (डीआरजी) और स्थानीय पुलिस के कर्मियों वाली संयुक्त टीम ने कटेकल्याण एरिया कमेटी से जुड़े पहाड़ी जंगलों में माओवादियों की मौजूदगी के संकेत वाली खुफिया सूचनाओं के आधार पर अभियान शुरू किया।
पुलिस अधीक्षक किरण चव्हाण के अनुसार, गोलीबारी दोपहर करीब 2 बजे शुरू हुई और कई घंटों तक चली, अधिकारियों ने बताया।
दो शवों के अलावा, सुरक्षा बलों ने घटनास्थल से एक इंसास राइफल, एक भारमार बन्दूक और विस्फोटकों का एक बड़ा जखीरा तथा माओवादी सामग्री बरामद की।
जब्त की गई वस्तुओं में चार जिलेटिन की छड़ें, 10 डेटोनेटर, इंसास गोला-बारूद के 17 राउंड, 12 बोर गोला-बारूद के पांच कारतूस, एक साबुन बम, एक टिफिन बम, वायर कॉइल, सुरक्षा फ़्यूज़ और अन्य आपत्तिजनक सामग्री शामिल हैं।
पुलिस महानिरीक्षक (बस्तर रेंज) सुंदरराज पी ने कहा कि नवीनतम अभियान क्षेत्र में माओवादी उग्रवाद के खिलाफ निरंतर अभियान का हिस्सा है।
उन्होंने कहा कि जनवरी 2024 से जून 2025 के बीच बस्तर संभाग के अंतर्गत सुरक्षा बलों ने समन्वित कार्रवाई के माध्यम से 411 माओवादियों के शव बरामद किए हैं।
उन्होंने कहा कि डीआरजी, स्पेशल टास्क फोर्स, कमांडो बटालियन फॉर रेसोल्यूट एक्शन, केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल, सीमा सुरक्षा बल, भारत-तिब्बत सीमा पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल और बस्तर फाइटर्स जैसे सुरक्षा बल "संकल्प: नक्सल मुक्त बस्तर मिशन" के बैनर तले दृढ़ संकल्प के साथ काम कर रहे हैं।
आईजीपी सुंदरराज ने इस बात पर प्रकाश डाला कि बस्तर में कभी भय और अशांति का प्रतीक रहा माओवादी आंदोलन अब गुमनामी में खो जाने की स्थिति में पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि अब इस क्षेत्र में शांति और विकास की उम्मीद जगी है, तथा उग्रवाद के बचे हुए गढ़ों को ध्वस्त करने के लिए अभियान जारी है।