नई दिल्ली, 11 अगस्त
सोमवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत दूसरे सबसे बड़े देश (34 प्रतिशत) में से एक है, जहाँ कर्मचारियों का मानना है कि एआई उनकी नौकरियों पर सकारात्मक प्रभाव डालेगा। वैश्विक आशावाद सूची में मिस्र सबसे आगे रहा, जहाँ 36 प्रतिशत कर्मचारियों ने ऐसा ही महसूस किया।
केवल 17 प्रतिशत भारतीयों का मानना था कि एआई उनकी नौकरियों की जगह ले लेगा। एडीपी रिसर्च की एक रिपोर्ट के अनुसार, जापान और स्वीडन में यह आशावाद सबसे कम क्रमशः 4 प्रतिशत और 6 प्रतिशत था।
यूरोप में, 11 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने सोचा कि एआई अगले वर्ष उनकी नौकरियों में सुधार लाएगा, जबकि उत्तरी अमेरिका में 13 प्रतिशत, एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 16 प्रतिशत, लैटिन अमेरिका में 19 प्रतिशत और मध्य पूर्व व अफ्रीका में 27 प्रतिशत ने यही राय व्यक्त की। एडीपी रिसर्च ने छह महाद्वीपों के 38,000 कामकाजी वयस्कों का सर्वेक्षण किया।
लगभग 30 प्रतिशत उत्तरदाताओं का मानना था कि उन्हें बदला जा सकता है और वे सक्रिय रूप से नई नौकरियों की तलाश कर रहे थे। लगभग 16 प्रतिशत लोगों का मानना था कि उन्हें बदला जा सकता है, लेकिन उन्होंने अभी तक नौकरी की तलाश शुरू नहीं की है।
एडीपी इंडिया और दक्षिण पूर्व एशिया के एमडी राहुल गोयल ने कहा, "एआई हमारे काम करने के तरीके और कर्मचारियों की अपनी नौकरी के भविष्य के बारे में भावनाओं को नया रूप दे रहा है।"