नई दिल्ली, 8 अक्टूबर
बुधवार को जारी एक रिपोर्ट में कहा गया है कि वैश्विक स्तर पर सरकारी ऋण बढ़ रहे हैं, लेकिन भारत का सामान्य सरकारी ऋण वित्त वर्ष 31 तक सकल घरेलू उत्पाद के 77 प्रतिशत और वित्त वर्ष 35 तक 71 प्रतिशत तक कम हो जाएगा, जो वर्तमान में 81 प्रतिशत है।
रेटिंग फर्म केयरएज रेटिंग्स की रिपोर्ट में इस गिरावट का कारण केंद्र सरकार के राजकोषीय समेकन और लगभग 6.5 प्रतिशत की निरंतर सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि को बताया गया है।
हालांकि, फर्म ने कहा कि कुछ राज्यों द्वारा मुफ्त उपहारों के वितरण के बीच राज्यों का कुल ऋण आगे भी निगरानी योग्य बना रहेगा।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत के सरकारी ऋण में कमी आने का अनुमान है, लेकिन राजस्व प्राप्तियों के सापेक्ष उच्च ब्याज भुगतान एक चुनौती बने रहने की उम्मीद है।